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समुद्र में डूब जाने वाला एक रहस्यमय शिव मंदिर । Ek rahasyamayi shiv mandir

 

आज तक आप भगवान शिव के ऐसे मंदिरों को तो जानते होंगे जो सदा ही श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते है पर आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में जो कुछ ही समय के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलता है और फिर जल में मग्न हो जाता है ।
हा आप सही सुन रहे है । तो बताइए क्या देखा है आपने एक ऐसा शिव मंदिर ?
नहीं देखा ?
तो चलिए आज हम बताते है आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में जो समुद्र में डूबा हुआ है और दिन में कुछ ही छड़ों के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलता है और फिर समुद्र में विलीन हो जाता है
तो सस्पेंश खत्म करते ही हम चलते है उस मंदिर की ओर । तो यह मंदिर है :-
स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर से लगभग 175 किमी दूर जंबूसर के कवि कंबोई गांव में मौजूद है। मंदिर 150 साल पुराना है, जो अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है। इस मंदिर की रहस्यमयता देखने के लिए आपको यहां सुबह से लेकर रात तक रुकना पड़ेगा।

शिवपुराण में जिक्र आता है कि, ताड़कासुर नाम के असुर ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से खुश कर दिया था, इसके बदले में शिव जी ने उसे मन चाहा वरदान दिया था। वरदान था कि उस असुर को शिव पुत्र के अलावा और कोई नहीं मार सकता था वरदान मिलने के बाद, ताड़कासुर ने हर तरफ लोगों को परेशान करना और उन्हें मारना शुरू कर दिया। ये सब देखकर देवताओं और ऋषियो ने शिव जी से उसका वध करने की प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना सुनने के बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय ने जन्म लिया। क्योंकि वरदान में यह भी था कि शिवपुत्र के साथ उसकी आयु 6 दिन की होनी चाहिए।
असुर का वध कार्तिकेय ने कर तो दिया, लेकिन जब उन्हें इस बात का पता चला कि वह शिव भक्त था तो उन्हें इस बात का बड़ा दुख हुआ ।
कार्तिकेय को जब इस बात का एहसास हुआ, तो भगवान विष्णु ने उन्हें प्रायश्चित करने का मौका दिया। भगवान विष्णु ने उन्हें सुझाव दिया कि जहां उन्होंने असुर का वध किया है, वहां शिवलिंग की स्थापना करें। इस तरह इस मंदिर को बाद में स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।


वैसे तो भारतवर्ष में अनेकों मंदिर है जो समुद्र पर स्थित है परंतु ऐसा कोई मंदिर नहीं है जो समुद्र में पूर्ण रूप से डूब जाता हो । लेकिन स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जो दिन में दो बार समुद्र में समा जाता है और इसी वजह से ये मंदिर इतना अनोखा है।
इसका एक प्राकृतिक कारण भी है दरअसल पूरे दिन में समुद्र का स्तर इतना बढ़ जाता है कि मंदिर पूरी तरह से डूब जाता है और फिर पानी का स्तर कम होने के बाद ये मंदिर फिर से दिखाई देने लगता है। ऐसा दिन में सुबह शाम दो बार होता है और लोगों द्वारा इसे शिव का अभिषेक माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि समुद्र स्वयं भगवान शिव का अभिषेक करने आता है।
मान्यता है कि पांच गुप्त तीर्थ है जिनमें से तीन को तो देखा जा सकता है और दो अभी भी समुद्र के अंदर ही कही गुप्त है इनका वर्णन शिवपुराण में भी आता है
इन तीन तीर्थों जिनको देखा जा सकता है इसमें से पहला है 1. स्तम्भेश्वर महादेव 2. निष्कलंक महादेव 3.रूपेश्वर महादेव
क्या आपने इनमें से किसी स्थल की यात्रा की है ? Comment me

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